विवेकानंद संस्थान ने 101वाँ स्थापना दिवस मनाया
4 जुलाई 2024 को भाकृअनुप- विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान का 101वाँ स्थापना दिवस संस्थान के हवालबाग स्थित सभागार में 4 जुलाई 2024 को धूम-धाम से मनाया गया। सर्वप्रथम स्थापना दिवस कार्यक्रम के विषिष्ट अतिथि डॉ. देवेन्द्र कुमार यादव, माननीय सहायक महानिदेशक (बीज), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं अन्य गणमान्य अतिथियों के साथ अल्मोड़ा स्थित कुंदन हाउस के पूजागृह में पूजा अर्चना की गयी। तत्पश्चात अल्मोड़ा एवं हवालबाग में स्थित स्वामी विवेकानन्द की मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया। तदोपरान्त विशिष्ट अतिथि एवं अन्य अतिथियों द्वारा हवालबाग परिसर में लगाये गये स्टाल का भ्रमण किया गया। संस्थान के 101वें स्थापना दिवस के मुख्य कार्यक्रम हवालबाग स्थित सभागार में दो सत्रों में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद गीत एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. रमेश चन्द, माननीय सदस्य, नीति आयोग (दर्जा प्राप्त केन्द्रीय राज्य मंत्री), भारत सरकार ने इस अवसर पर चतुर्थ पदम भूषण प्रो0 बोशी सेन स्मारक व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि संस्थान की स्थापना जिस उद्देष्य के साथ पद्मभूशण प्रो. बोशी सेन द्वारा की गयी थी, संस्थान उस उद्देश्य को तत्परता से पूर्ण कर रहा है। उनके अनुसार इस संस्थान ने अपनी महत्वपूर्ण उपलब्धियों से भारत के वैज्ञानिक नक़्शे में अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया है। उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा 100 वर्ष पूर्ण किये जाने के उपरान्त संस्थान को अपने अधिदेश को समय एवं जलवायु परिवर्तन को दृष्टिगत रखते हुए बदलने की आवश्यकता है। उत्तराखण्ड के वर्तमान परिदृश्य में यहां की भौगोलिक, वस्तुआधारित एवं चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए भविष्य में शोध एवं विकास की आवश्यकता पर बल दिया।
इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. देवेन्द्र कुमार यादव, माननीय सहायक महानिदेशक (बीज), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने संस्थान के 101वें स्थापना दिवस पर सभी को बधाई एवं शुभकामना देते हुए संस्थान की किस्मों, लघु यंत्रों के विकास, रोग एवं कीट प्रबन्धन तकनीकों एवं तकनीकियों के प्रसार में हुयी अभूतपूर्व प्रगति पर हर्ष व्यक्त किया। जी.आई. की आवश्यंकता पर बल देते हुए उन्होंने जल के उचित उपयोग, सटीक एवं स्मार्ट कृषि में शोध हेतु वैज्ञानिकों का आहवान किया। इस कार्यक्रम तथा रामकृष्ण कुटीर, अल्मोड़ा के अध्यक्ष स्वामी ध्रुवेशानंद जी ने प्रो. बोशी सेन का स्मरण करते हुए उनके द्वारा स्थापित संस्थान के 100 वर्षीय प्रगति पर प्रसन्नता व्यक्त की तथा संस्थान की उत्तरोत्तर प्रगति की कामना की। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं भूतपूर्व नगरपालिकाध्यक्ष श्री प्रकाश जोशी ने कहा कि संस्थान निरन्तर उन्नति कर रहा है जिसका श्रेय संस्थान के समस्त वैज्ञानिक एवं कर्मचारियों के परिश्रम एवं लगन को जाता है जिसके फलस्वरूप प्रो. सेन द्वारा स्थापित प्रयोगशाला एक अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति का संस्थान बन रहा है। कृषि के क्षेत्र में एक आशातीत परिवर्तन हुआ है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ये शोध कार्य निरंतर चलता रहेगा और देश आत्मनिर्भर होने की दिशा में अग्रसर होगा। उन्होंने सभा को बन्दरों एवं सूअरों की समस्या से भी अवगत कराया। विशिष्ट अतिथि प्रो. सुनील नौटियाल, निदेशक गोविन्द बल्लभ पन्त राष्ट्रीय हिमालयी विकास संस्थान, कोसी कटारमल, अल्मोड़ा ने प्रो. बोशी सेन के व्यक्तित्व को स्मरण करते हुए संस्थान एवं संस्थान के कार्मिकों द्वारा एक वर्ष के भीतर विकसित की गयी तकनीकियों हेतु बधाई दी। संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ0 जे. सी. भट्ट द्वारा प्रो0 बोशी सेन जी की पृष्ठभूमि के विषय पर सभा को अवगत कराया गया।
संस्थान के निदेशक डा0 लक्ष्मी कान्त ने संस्थान के संस्थापक प्रो0 बोसी सेन को नमन करते हुए मुख्य अतिथि सहित सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया गया तथा संस्थान के समापन समारोह के अवसर पर संस्थान द्वारा विगत वर्ष में किये गये क्रिया-कलापों अवगत कराया। साथ ही उन्होंने विगत वर्ष के दौरान संस्थान की महत्वपूर्ण उपलब्धियों की प्रस्तुति दी। उन्होंने संस्थान द्वारा चलायी जा रही विभिन्न परियोजनाओं जैसे एससीएसपी, एनईएच एवं टीएसपी के माध्यम से कृषकों के लाभान्वित होने की जानकारी भी दी। इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा संस्थान की हिन्दी पत्रिका ‘‘हरीतिमा’’, कम्पेंन्डियम ‘‘अल्मोड़ा डिक्लेरेशन’’, धान जननद्रव्य पर आधारित ‘‘ई-बुक’’ तथा विभिन्न फसलों की वैज्ञानिक खेती, कृषि यंत्रों एवं अन्य विषय पर आधारित 17 प्रसार प्रपत्रों का विमोचन तथा संस्थान द्वारा विकसित प्रजातियों नामतः वीएल मधुरिमा तथा वीएल मंडुवा 408 लोकार्पण किया गया। साथ ही संस्थान के यू-ट्यूब चैनेल ‘‘कृषि ज्ञान मंच’’ का भी इस अवसर पर लोकार्पण किया गया। संस्थान में कार्यरत तकनीकी अधिकारी श्री वरूण सुप्याल, वरिष्ठ तकनीषियन श्री अजित बिष्ट, तकनीकी सहायक श्री ओमकार प्रताप एवं कनिष्ठ लिपिक श्री आनन्द सिंह को उनके उत्कृष्ट कार्य हेतु सम्मानित किया गया। राजभाषा प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत श्रीमती रेनू सनवाल, श्री आनन्द सिंह, श्री अभिनव सिंह, श्री मनोज कुमार, श्री सुन्दर राम तथा श्री देवेन्द्र सिंह कार्की को पुरस्कृत किया गया। साथ ही इस वर्ष एवं आगामी वर्ष में सेवानिवृत्त हो रहे कार्मिकों डॉ एस सी पाण्डे, डॉ गोविन्द्र सिंह बिष्ट, श्री चन्दन सिंह कनवाल, श्री गोपाल सिंह एवं श्री राम सिंह को संस्थान सम्मान प्रदत्त किया गया। इस अवसर पर संस्थान की नवीन प्रजातियों को विकसित करने हेतु सम्बन्धित टीम को प्रमाण पत्र भी वितरित किये गये। समारोह के दौरान प्रगतिषील कृषकों श्री हुकुम सिंह, श्री राजेन्द्र प्रसाद, श्रीमती सोनम वांगमो, श्री निमा शेरिंग, श्री अनिमेश सरकार तथा श्री इकबाल हुसैन को भी सम्मानित किया गया। साथ ही संस्थान के 100 वर्ष पूरे होने के फलस्वरूप प्रत्येक कार्मिक को विशिष्ट अतिथियों द्वारा स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। इस अवसर संस्थान के समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे। स्थापना दिवस कार्यक्रम का संचालन वैज्ञानिक डा0 आशीष कमार सिंह एवं डॉ संथिया द्वारा किया गया तथा धन्यवाद प्रस्ताव प्रभागाध्यक्ष, फसल सुधार विभाग डॉ0 निर्मल कुमार हिडाऊ द्वारा ज्ञापित किया गया। समारोह का समापन आम की दावत के साथ सम्पन्न हुआ।