व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यशाला

विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (विज्ञान एवं  प्रौद्योगिकी विभाग) की त्वरित विज्ञान योजना द्वारा प्रायोजित पर्वतीय कृषि में फसल पोषण सुरक्षा के लिए उन्नत जीनोमिक्स और फेनोमिक्स टूल्स पर ग्यारह दिवसीय व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन  12 जून 2024 को भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान] हवालबाग] अल्मोड़ा में किया गया। कार्यशाला का शुभारम्भ मुख्य अतिथि डॉ- जगदीश चन्द्र भट्ट] पूर्व निदेशक] भाकृअनुप-वि.प.कृ.अनु.सं., अल्मोड़ा और अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई] जिसके बाद भाकृअनुप गीत भी आया। सत्र के मुख्य अतिथि डॉ- जगदीश चन्द्र भट्ट ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और कहा कि भाकृअनुप&वि.प.कृ.अनु.सं., अल्मोड़ा में जीनोमिक्स और फेनोमिक्स के क्षेत्र में  उजागर करने के लिए उत्कृष्ट सुविधाएं और संकाय हैं। उनके पास अपने ज्ञान को बढ़ाने का यह एक शानदार अवसर है। उन्होंने दर्शकों को पौधों की कोशिकाओं और ऊतकों के रहस्य के बारे में जानकारी दी और बताया कि हरित क्रांति कैसे आई। उन्होंने कृत्रिम बुद्विमता के महत्व पर भी जोर दिया और बताया कि कैसे कृषि वैज्ञानिक अपनी बुद्वि का उपयोग करके उत्पादन] स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण को बढ़ा सकते हैं।

डॉ- लक्ष्मी कांत] निदेशक] भाकृअनुप- वि.प.कृ.अनु.सं., अल्मोड़ा तथा  पाठ्यक्रम निदेशक ने मुख्य अतिथि] देश के 10 विभिन्न राज्यों के सभी 25 छात्रों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने छात्रों को कार्यशाला में सक्रिय रूप से भाग लेने और पोषण सुरक्षा के लिए उन्नत जीनोमिक्स और फेनोमिक्स उपकरणों में अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने छात्रों को आजादी से पहले और आजादी के बाद देश में] विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों  में कृषि की स्थिति के बारे में अवगत कराया।  उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों के लिए भूमि क्षेत्र में कमी के मद्देनजर फसल की पैदावार बढ़ाना एक बहुत बड़ी चुनौती है। उन्होंने बायोफोर्टिफिकेशन की आवश्यकता पर भी जोर दिया] जो सस्ता है और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए काफी लोगों तक पहुंच सकता है।फसल सुधार प्रभाग के प्रभागाध्यक्ष एवं कार्यशाला के सह-पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. निर्मल कुमार हेडाऊ ने कहा कि एक्सपोजर और विविध वातावरण बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने छात्रों को अवगत कराया कि इस 11 वसीय कार्यशाला में सैद्धांतिक के साथ-साथ व्यावहारिक सत्र भी हैं, जो उनके कौशल को बढ़ाने में सहायक होंगे।  डॉ- बृज मोहन पांडे] प्रभागाध्यक्ष] फसल उत्पादन प्रभाग ने कहा कि कार्यशाला का कार्यक्रम रूचिकर है और प्रतिभागियों से अपील की गई कि वे इन 11 दिनों का उपयोग अपने ज्ञान को अवश्य बढ़ायें।  डॉ- नवीन गहत्यारी] वैज्ञानिक ने कार्यशाला की रूपरेखा और उद्देश्य की जानकारी दी। उन्होंने छात्रों को कार्यक्रम और विभिन्न विषयों के बारे में अवगत कराया] जिन्हें इस कार्यशाला के अर्न्तगत शामिल किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन वैज्ञानिक डॉ- देवेंद्र शर्मा और धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ- रमेश सिंह पाल ने किया।